लगा के मिलने जैसे, बिछड़ा मेरा प्यार आया !!
बहुत तलाशा है हर मय में, पर नहीं पाया !
तेरी बाहों के दायरे में जो खुमार आया !!
जब भी चाही लिखनी मैंने दास्तान-ए-जिंदगी !
किया जो ज़िक्र, तेरा ही ज़िक्र बार बार आया !!
जब भी चाहा, लिपट के तुझसे रो सके !
हमारे हिस्से में बस यही इंतज़ार आया !!
बड़े बेसब्र-ओ-बेचैन हो गए थे हम !
तुझे जो याद किया दिल पे इख्तियार आया !!
छीन ही लूँगा तुझको चाहे जो हश्र हो अब !
न लौटूंगा, जो तेरे दर पे अब की बार आया !
--विवेक