हल्की सी मुस्कान लबो पे छा जाती है.
ऐ दिलरुबा जब-जब तेरी याद आती है
खुश नहीं है तू भी जुदा होकर मुझसे
ये नम हवा दास्तान-ए-अश्क सुना जाती है
धड़क उठता है फिर से बेजान दिल
चौखट पर कदमो की आवाज़ गर आ जाती है
होगा कैसा आज मिजाज़ तुम्हारा
मौसम की अदाए ये बता जाती है
बहुत बोलती है खामोश निगाहे तेरी
झुक कर मजबूरियाँ सारी समझा जाती है
वो बच्चो सी दिलकश बेबाक हसी
रोती आँखों में भी गुद- गुदा जाती है
जरुर बना होगा हमारे भी मिलने का एक दिन
बस यही आरज़ू जीने की ख्वाहिश बढा जाती है.
विवेक...
ऐ दिलरुबा जब-जब तेरी याद आती है
खुश नहीं है तू भी जुदा होकर मुझसे
ये नम हवा दास्तान-ए-अश्क सुना जाती है
धड़क उठता है फिर से बेजान दिल
चौखट पर कदमो की आवाज़ गर आ जाती है
होगा कैसा आज मिजाज़ तुम्हारा
मौसम की अदाए ये बता जाती है
बहुत बोलती है खामोश निगाहे तेरी
झुक कर मजबूरियाँ सारी समझा जाती है
वो बच्चो सी दिलकश बेबाक हसी
रोती आँखों में भी गुद- गुदा जाती है
जरुर बना होगा हमारे भी मिलने का एक दिन
बस यही आरज़ू जीने की ख्वाहिश बढा जाती है.
विवेक...