कैसे कहें तुझे याद कर हम नहीं रोते
आँखों के कोने आंसुओं से नाम नहीं होते…
हर बार जो हंसकर मैं ताल जाती हूँ बातें
न समझना हंसती आँखों में ग़म नहीं होते..
तेरे ख्यालों में खोये रहना, घुटना तेरी यादों में...
क्यूँ मेरी बज़्म में प्यार के मौसम नहीं होते..
ख़ामोशी अब भी गूंजती है , तन्हाई तडपती है
एक तेरी ही यादों में कभी हम नहीं होते…
ना मुस्कुराते यूँ ही जो तुम देखकर मुझे
यूँ पागल तेरे इश्क में फिर हम दम नहीं होते…
बेशक सलीका नहीं मुझे लिखने का गज़लें
ना लिखते गर दिल में मातम नहीं होते…
---- शिल्पी