तेरी दोस्ती सदा इस दील में जवान रहेगी.
मुस्कुराते लब नमी आँखों में इसकी पहचान रहेगी
इतना बता दे था फ़रिश्ता, या खुद खुदा तू .
कब तक तेरी सख्सियत से मेरी हस्ती अंजान रहेगी .
हर बदी से बचाता रहा हरदम मुझे.
आखरी सांस तक तेरी यादे दील में मेहमान रहेगी.
फैलाकर नूर हो गया दूर तू हमसे .
खुशकिस्मत वो खुदाई है जो तेरी मेज़बान रहेगी.
गर पूछे कोई मुझसे "क्या है दोस्ती .? "
ज़िक्र-ए-यारी तेरी सदा हम-ज़ुबान रहेगी