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Thursday, February 14, 2013

Yaad Tumhari

Rooh ki Gahrai me, sham ki tanhai me, udaasiya samai hai
aankho me ashk dhalke, virah me raat bhar jal ke, fir yaad tumhari aai hai..

Hasrate dabai dil me, khawhisho ke haantho me bediya lagai hai.
Kanto me nange paao chalke,
Teri aarzu me har ghadi mar ke, fir yaad tumhari aayi hai

Monday, February 4, 2013

अनजान हु मैं !

खुद ही खुद की ख्वाहिशों से अनजान हु मैं !
बे-सबब जी रहा हूँ , जैसे दो पल का मेहमान हु मैं !!

कभी जो सोंचू तुझे तो बरसूँ बारिशो की तरह !
कभी हो जाऊ खफा, तो इक तूफ़ान हूँ मैं !!

तेरे करीब रहूँ तो मासूम हूँ दरीया की तरह !
बिना तेरे मानो समंदर की उफ़ान हूँ मैं !!

जो चाहूँ मुह फेर लूं इक पल मे इस ज़माने से !
पर तेरी खातिर पत्थर पे एक निशान  हूँ मैं !!

सारे शहर के लिए आबाद हूँ महफ़िल की तरह !
दिल में ना झाँक लेना, बंजर हूँ ,वीरान हूँ मैं !!

लाख चाहू तुझे खोने की खलिश जाती ही नहीं !
क्या करू ऐ हमदम, आखिर इंसान हूँ मैं !!
-- विवेक