तेरे ख्यालो से जिस दिन मै नीजात पाउ
तेरे सिवा तब मै कुछ और भी लिख पाउ
अपनी उलझनों से ही नहीं मिलती है आजादी
दोस्तों मै क्या किसी रोते को समझाऊ
मेरे कानो में हरदम गूंजती है तेरी आवाज़े
समझाने वालो माफ़ करना, गर कुछ न सुन पाउ
तुझ बिन जीने की बात से ही खौफ लगता है..
अगर ऐसा हुआ तो मुझको दर है मै न मर जाऊ...
किसी सहरा के प्यासे को एक कतरा ही काफी है
तेरी एक दीद से बढ़कर बता मै और क्या चाहू..
No comments:
Post a Comment