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Friday, January 25, 2013

Bichhada Pyaar

बहे जो अश्क, दिल को मेरे करार आया !
लगा के मिलने जैसे, बिछड़ा मेरा प्यार आया !!

बहुत तलाशा है हर मय  में, पर नहीं  पाया !
तेरी बाहों के दायरे में जो खुमार आया !!

जब भी चाही लिखनी मैंने दास्तान-ए-जिंदगी !
किया जो ज़िक्र, तेरा ही ज़िक्र बार बार आया !!

जब भी चाहा, लिपट के तुझसे रो सके !
हमारे हिस्से में बस यही इंतज़ार आया !!

बड़े बेसब्र-ओ-बेचैन हो गए थे हम !
तुझे जो याद किया दिल पे इख्तियार आया !!

छीन ही लूँगा तुझको चाहे जो हश्र हो अब !
न लौटूंगा, जो तेरे दर पे अब की बार आया !
--विवेक 

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