ठान लिया है इस दील में किसी को आने नहीं देंगे
फिर से वो इश्क की खुमारी छाने नहीं देंगे ..
पहुचती है तकलीफ हमें किस चीज़ से
इसका पता किसी को लगाने नहीं देंगे..
ना हो मुश्किल कभी दूर जाना…
इतना करीब किसी को आने नहीं देंगे …
हम रोये इतना के आँखे हो जाये सुर्ख..
न बन जाये किसी का गम क़सक मेरी…
अपने राज़ किसी को बताने नहीं देंगे
तोडना ही हो जिसकी फितरत में शामिल
ऐसे हाथो में दिल के पैमाने नहीं देंगे
वक्त की धार पे बदल जाए जो लोग...
ऐसे कमज़ोर रिश्ते किसी को बनाने नहीं देंगे..
लगा दे जो आग मेरे ही जीवन में,
उम्मीद के दिए किसी को जलने नहीं देंगे
जो लुट ले मेरा सब कुछ, मदहोश जान के..
नजरो से इतना किसी को पिलाने नहीं देंगे…
आ जाये फिर भी, तो मर्ज़ी खुदा की.. विवेक
है यकीन इस बार उसे हम जाने नहीं देंगे....
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