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Friday, May 22, 2015

Jindagi "जिंदगी"

जिंदगी

पड़ेगी बेबसी सहनी, तो सुन ले मुझको अब सहना नहीं
गर शर्त ये है ज़िन्दगी, जिन्दा मुझे रहना नहीं

जो ख़ुशी बख्शे मुझे वो तूने कब करने दिया
चैन से जीने दिया और न मुझे मरने दिया
मेरे ज़ख्मों को कुरेदा न उन्हें भरने दिया

बेबसी में और बेबस मुझको अब रहना नहीं
गर शर्त ये है ज़िन्दगी , जिन्दा मुझे रहना नही

रात काटी करवटों में दिन को आवारा किया
जिंदगी तेरे कहे पे खुद को बंजारा किया
चाहा जिसको छोड़ उसको, तन्हा ही गुज़ारा किया

आगे तेरी मौज में बस मुझको अब बहना नहीं
गर शर्त ये है ज़िन्दगी , जिन्दा मुझे रहना नही

रहा जिससे मेरा वास्ता, अब राब्ता उससे नहीं
क्यूँ रखूं मैं राब्ता, है वास्ता जिससे नहीं
चल पड़ा हूँ उस सफ़र में अब रास्ता जिसमें नहीं

जो भी हो हालत से समझौता अब करना नहीं
गर शर्त ये है ज़िन्दगी , जिन्दा मुझे रहना नही

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