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Sunday, June 7, 2009

..........अब मैने इस दिल का लगाना छोड़ दिया
उसकी याद में खुद को जलाना छोड़ दिया

बहुत तोड़ा है उसकी चाहत ने मुझे अक्सर
अब और मैने इश्क़ में टूट जाना छोड़ दिया

आंखे तरस रहीं है उसके दीद को लेकिन
उसकी गली से मैने अब आना जाना छोड़ दिया

बहुत बातें करते हैं लोग वफा-ए-मोहब्बत की 
ऐसी किसी भी बात पर ध्यान लगाना छोड़ दिया

कहानी समझ कर सुनते थे मेरी दास्तान-ए-मोहब्बत
अब हर किसी को मैने हाल-ए-दिल सुनाना छोड़ दिया

मत सोच के तुझे याद कर के आज भी लिखता है VIVEK
एक ज़माना हुआ, तुझ पर मैने गज़ल बनाना छोड़ दिया

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