क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नहीं होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नहीं होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नहीं होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढकर कोई दुनिया में हमसफर नहीं होता !!!
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