Loading

Welcome visitor! Please wait till blog loads...

Wednesday, December 2, 2009

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नहीं होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नहीं होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नहीं होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढकर कोई दुनिया में हमसफर नहीं होता !!!

No comments:

Post a Comment